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एक रंगीन झिझक एक सादा पयाम
कैसे भूलूं किसी का वो पहला सलाम
- कैफी आजमी
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर
जाएंगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर
जाएंगे
- जौक
मैं चाहता भी यही था वो बेवफा
निकले
उसे समझने का कोई तो सिलसिला
निकले
- वसीम बरेलवी
मेरी आंखें और दीदार आप का
या कयामत आ गई या ख्वाब है
- आसी गाजीपुरी
अपने चेहरे से जो जाहिर है
छुपाएं कैसे
तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आएं
कैसे
- वसीम बरेलवी
दुश्मन को भी सीने से लगाना नहीं
भूले
हम अपने बुजुर्गों का जमाना नहीं
भूले
- सागर आजमी
कांटों से गुजर जाना, शोलों से निकल जाना
फूलों की बस्ती में जाना तो संभल
जाना
- सागर आजमी
अब क्या बताऊं मैं तेरे मिलने से
क्या मिला
इरफान-ए-गम हुआ मुझे दिल का पता
मिला
- सीमाब अकबराबादी
साफ जाहिर है निगाहों से कि हम
मरते हैं
मुंह से कहते हुये ये बात मगर
डरते हैं
- अख्तर अंसारी
एक टूटी हुई जंजीर की फरियाद हैं
हम
और दुनिया ये समझती है कि आजाद
हैं हम
- मेराज फैजाबादी
सितम हवा का अगर तेरे तन को रास
नहीं
कहां से लाऊं वो झोंका जो मेरे
पास नहीं
- वजीर आगा
उम्र जलवों में बसर हो ये जरूरी
तो नहीं
हर शब-ए-गम की सहर हो ये जरूरी
तो नहीं
- खामोश देहलवी
कल गए थे तुम जिसे
बीमार-ए-हिजरां छोड़कर
चल बसा वो आज सब हस्ती का सामां
छोड़कर
- इब्राहीम जौक
न मेरे जख्म खिले हैं न तेरा
रंग-ए-हिना
मौसम आए ही नहीं अब के गुलाबों
वाले
- अहमद फराज
बदलते वक्त का इक सिलसिला सा
लगता है
कि जब भी देखो उसे दूसरा सा लगता
है
- मंजर भोपाली
काम आ सकीं न अपनी वफायें तो
क्या करें
इक बेवफा को भूल न जायें तो क्या
करें
- अख्तर शीरानी
नींद इस सोच से टूटी अक्सर
किस तरह कटती हैं रातें उसकी
- परवीन शाकिर
अक्ल पे हम को नाज बहुत था लेकिन
ये कब सोचा था
इश्क के हाथों ये भी होगा लोग
हमें समझायेंगे
- अहमद हमदानी
क्यूंकर हुआ है फाश जमाने पे
क्या कहें
वो राज-ए-दिल जो कह न सके राजदां
से हम
-मजाज लखनवी
इस तरह सताया है, परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया
है
- अफजल फिरदौस
कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं
होती है
रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती
है
- शकील बदायूंनी
हम रातों को उठ-उठ के जिनके लिए
रोते हैं
वो गैर की बाहों में आराम से
सोते हैं
- हसरत जयपुरी
इस से पहले कि बेवफा हो जायें
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो
जायें
- अहमद फराज
हम बा-वफा थे इसलिए नजरों से गिर
गये
शायद तुम्हें तलाश किसी बेवफा की
थी
- अज्ञात
तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे जिन्दगी की आस नहीं
- जिगर बरेलवी
समझते क्या थे मगर सुनते थे
फसानाए-दर्द
समझ में आने लगा जब तो फिर सुना
न गया
-यग़ाना
गरज कि काट दिए जिन्दगी के दिन ऐ
दोस्त
वो तेरी याद में हो या तुझे
भुलाने में
- फिराक गोरखपुरी
इन्सान अपने आप में मजबूर है
बहुत
कोई नहीं है बेवफा अफसोस मत करो
- बशीर बद्र
एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा
इल्जाम नहीं
दुनियावाले, दिलवालों को और बहुत कुछ
कहते हैं
- हबीब जालब
यूं इस कदर हवा नहीं चलती
उसे तो सिर्फ हमारा दिया बुझाना
था
- प्रफुल्ल चंद्र पाठक
सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं
- इकबाल
ऐ इश्क तूने अक्सर कौमों को खा
के छोड़ा
जिस घर से सर उठाया उसको बिठा के
छोड़ा
- हाली
इश्क ने ''ग़ालिब'' निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के ।
- ग़ालिब
कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं
देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं
देखा
- मुनव्वर राना
हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना
आया
रोने वाले तुझे किस बात पे रोना
आया
- सैफुद्दीन सैफ
अय मौत, उन्हें भुलाए जमाने गुजर
गए
आजा कि जहर खाए जमाने गुजर गए
- खुमार बाराबंकवी
आज फिर किसीकी याद ने रुलाया हे मुजे
जाने दो यारो ! किसीके साज़ ने बुलाया हे मुजे
कैसे भूल जाऊं उन जुल्फों को 'रजा'
जिसने अपनी छावं में सुलाया हे मुजे.
-याकूब रजा ' छोटाउदेपुर' -
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